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विजय दिवस पर संसद से नेशनल वॉर मेमोरियल तक प्रतीकात्मक साइकिल राइड के लिए सांसदों को हिंदायान का आमंत्रण

  • Writer: MimTimes मिम टाइम्स  م ٹائمز
    MimTimes मिम टाइम्स م ٹائمز
  • Oct 29
  • 2 min read
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29 October 2025


मुंबई ,फिटनेस, पर्यावरण और राष्ट्रभक्ति के संगम के रूप में हिंदायान ने सांसदों को संसद भवन से नेशनल वॉर मेमोरियल तक 2 किलोमीटर की प्रतीकात्मक साइकिल यात्रा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। यह आयोजन विजय दिवस के उपलक्ष्य में रविवार, 30 नवंबर 2025 को आयोजित किया जा रहा है।


1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की विजय और बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्मृति में युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय तथा रक्षा मंत्रालय के सहयोग से यह 10 किलोमीटर लंबी हिंदायान साइकिल परेड आयोजित की जा रही है। यात्रा की शुरुआत चाणक्यपुरी स्थित नेशनल यूथ हॉस्टल से होगी और समापन इंडिया गेट के पास स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल पर किया जाएगा।


यह परेड फिट इंडिया मिशन के अंतर्गत खेल मंत्रालय की प्रमुख पहल “संडे ऑन साइकिल” का हिस्सा है, जिसका उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री ने किया था।

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हिंदायान के संयोजक और विश्व भ्रमण करने वाले पहले भारतीय विष्णुदास चापके ने बताया,


“हर साल भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना और टेरिटोरियल आर्मी के जवान हिंदायान साइकिल अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। इस वर्ष कर्तव्य पथ पर होने वाली साइकिल परेड के लिए बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी, आईटीबीपी और असम राइफल्स ने अपनी भागीदारी की पुष्टि कर दी है। वहीं एनआईए, एनसीबी, एनएसजी और सीआईएसएफ ने भी अनुमति प्रक्रिया शुरू कर दी है।”


उन्होंने आगे कहा,


“राज्यसभा और लोकसभा, दोनों सदनों के सदस्यों को आमंत्रण भेजा गया है। जो सदस्य साइकिल चलाने में असुविधा महसूस करते हैं, उनके लिए इलेक्ट्रिक और टैंडम (दो सीटों वाली) साइकिल की व्यवस्था की गई है। उद्देश्य केवल एक है — शहीदों को श्रद्धांजलि देना और साइकिलिंग को फिर से सम्मान का प्रतीक बनाना।”


एकत्र स्थल: रेल भवन, संसद परिसर


समय: सुबह 8:25 बजे, रविवार, 30 नवंबर 2025


जो सदस्य साइकिल नहीं चला सकते, उन्हें भी नेशनल वॉर मेमोरियल पर उपस्थित होकर देश के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आमंत्रित किया गया है। प्रतिभागियों से अनुरोध है कि वे अपनी उपस्थिति की पुष्टि hindayan2020@gmail.com पर भेजें, ताकि उनके लिए विशेष जर्सी और अन्य व्यवस्थाएँ की जा सकें।


लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी (सेवानिवृत्त) ने कहा,


“1990 के दशक से पहले साइकिल प्रतिष्ठा का प्रतीक हुआ करती थी। शिक्षक, पुलिस और सशस्त्र बलों के अधिकारी साइकिल से ही आवागमन करते थे। बाद में मोटर वाहनों के प्रसार से साइकिल श्रमिक वर्ग का प्रतीक बन गई। अब जब हमारे सांसद साइकिल चलाएंगे, तो यह करोड़ों युवाओं को प्रेरित करेगा और साइकिलिंग की गरिमा को पुनर्स्थापित करेगा।”



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